
मऊगंज जिले के हनुमना जनपद की ग्राम पंचायत गोपला से एक चौंकाने वाली और प्रेरणादायक तस्वीर सामने आई है। यहां शासकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल के छात्र और शिक्षक मिलकर खुद स्कूल तक पहुंचने का रास्ता बना रहे हैं। दरअसल, स्कूल जाने के लिए बच्चों को रोज नदी पार करनी पड़ती है, और बारिश के दिनों में यह काम बेहद खतरनाक और मुश्किल हो जाता है। कई बार नदी में पानी भरने के कारण स्कूल बंद भी करना पड़ा।
चार साल पहले नदी पर पुल निर्माण का काम शुरू किया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाही की वजह से वह अधूरा रह गया। जांच के दौरान पंचायत सचिव को तो निलंबित कर दिया गया, लेकिन सरपंच कार्रवाई से बच निकले। हैरानी की बात यह है कि ग्राम पंचायत गोपला जिला प्रशासन को भारी राजस्व देती है और विकास कार्यों के लिए करोड़ों का बजट आता है, फिर भी यहां न सड़क है और न ही बुनियादी सुविधाएं।
ग्रामीणों और अभिभावकों ने कई बार सरपंच और अधिकारियों से सड़क व पुल निर्माण की मांग की, लेकिन हर बार निजी भूमि का बहाना बनाकर मामला टाल दिया गया। आखिरकार मजबूर होकर बच्चों और शिक्षकों ने स्वयं आगे आकर रास्ता बनाने की ठानी। वे सामूहिक प्रयास से मिट्टी काटकर स्कूल तक पहुंचने के लिए पगडंडी तैयार कर रहे हैं।
यह नजारा सिर्फ मेहनत और संघर्ष की कहानी नहीं है, बल्कि सिस्टम की हकीकत पर करारा तमाचा भी है। सवाल यही है कि जब गांव के लोग और नन्हे बच्चे अपनी ताकत से रास्ता बना सकते हैं, तो करोड़ों रुपए के बजट और जिम्मेदार विभाग आखिर क्यों सोए पड़े हैं? क्या बच्चों और शिक्षकों के हाथों में फावड़ा उठाने का यह संदेश शासन-प्रशासन को जगाने के लिए काफी होगा?













